बिजनौर: बालावाली पौराणिक गंगाघाट का पुर्ननिर्माण

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला से ही गंगा मॉं का प्रवेश उत्तर प्रदेश की सीमा में होता है बिजनौर जिले के पौराणिक और महत्वपूर्ण  बालाबाली घाट पर 2013 में केदारनाथ घाटी आयी बाढ से कई कई फीट मिट्टी जमा हो गयी थी जिससे पहले से बने घाटो का अस्तित्व पूरी तरह से नष्ट हो गया था। मिट्टी पर जंगली घास उगने से वहॉं पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। गंगा जी की धारा भी घाट से 100मीटर दूर बहती है। जिससे श्रद्धालुओ को गंगा जी मे स्नान करने में बहुत परेशानी का सामना करना पडता है। गंगा घाट के किनारे बने मंदिरो की रौनक चली गयी तथा घाट के पास गंगा की धारा ना बहने और घाटो के पास उगी घास मे गंदा पानी जमा होने से कीडे पैदा हो रहे है। नमामी गंगे परियोजना में बालावाली घाट के चयन के बाद आस पास के निवासियो और दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुयो के अंदर आशा की किरण जगी थी कि बालावाली में गंगा घाट के पुनर्निमार्ण और विद्युत शवदाह गृह बनने से घाट पर साफ सफाई रहने लगेगी तथा दाहसंस्कार विद्युत शवदाह गृह में होने से गंगा जी मे लकडियो से दाहसंस्कार के करने से गंगा नदी मे बचे अपशिष्ट नही डलेगा।पिछले वर्ष सितम्बर माह में केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय को शिकायती पत्र भेजा गया था जिसपर मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश स्टेट क्लीन गंगा मिशन को पत्र भेजा तथा उत्तर प्रदेश क्लीन गंगा मिशन ने कार्ययोजना बनाने का आश्वासन तो दिया उसके आगे कोई कार्य नही बढाया गया। बालावाली घाट पर काफी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते है तथा आसपास से शवो के दाहसंस्कार के लिये भी लोग आते है कोरोना महामारी मे प्रतिदिन काफी बडी संख्या मे प्रतिदिन बालावाली घाट पर लकडियो से ही लोग दाहसंस्कार करने आये है जिससे गंगा जी मे काफी प्रदुषण बढ गया था।पिछले हफ्ते उत्तराखंड के पहाडो पर भारी बारिश होने के बाद गंगा जी का जल स्तर बढने से बाढ जैसी स्थिति बन गयी थी बालावाली घाट पर मिट्टी जमा होने के कारण गंगा मे आया पानी घाटो के पार करके आसपास के कई किलोमीटर तक बहने लगा था। अब जल का स्तर कम हुया जिसके कारण घाटो पर जमा मिट्टी कीचड मे परिवर्तित हो गयी है और घाट के पास बने मंदिरो मे भी कीचड जमा हो गया था जिसको पास के गॉंव के कुछ युवको ने फावडो और झाडूओ के हटाया तथा मंदिरो की सफाई की। घाट पर जमा मिट्टी जो बरसात आने पर कीचड मे बदल जाती उसमे कीडे पैदा होने लगे है , आस पास के रहने वाले निवासियो मे रोष है केंद्र और राज्य सरकार को बार बार अवगत कराने के बाद भी सरकारे इस उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर बने घाट को भले ही सरकार  भूल गयी हो मगर हमे दयनीय स्थिति देखकर हृदय मे पीडा होती हैदोनो सरकारो को बार बार लिखने बाद भी कोई जबाब नही मिला । हम आप सभी के सहयोग से इस घाट पर जमी मिट्टियो को हटवायेगे , घाट का दोबारा से निर्माण , महिलाओ के लिये चेंजरूम , घाट के मंदिरो पर रंगाई , घाट पर श्रद्धालुओ के बैठने हेतू बेंच की व्यवस्था की जायेगी ।



Share your Well Wishes


Co-Campaigner: Hitesh Sharma
Beneficiary: Abhishek kumar

₹ 453 raised of ₹ 240000 Goal

0%
  • 0 Days left
  • 3 Backers


2013 में केदारनाथ घाटी आयी बाढ से नष्ट हुये गंगाघाट का पुर्निर्माण और मंदिर संरक्षण






Campaign Disclaimer: The pitch, information and the opinions, expressed in this campaign page are those of the campaigner, users or beneficiaries, and not CrowdKash. If such claims are found to be not true, CrowdKash, in its sole discretion, has the right to stop the campaign, and refund the contributions to respective contributors.