कुशभवनपुर दिवस (जन्मोत्सव)

कुशभवनपुर से सुल्तानपुर: पौराणिक मान्यता के अनुसार सुल्तानपुर (कुशभवनपुर) को गोमती नदी के तट पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम के पुत्र कुश द्वारा बसाया गया था इसलिए सुल्तानपुर को कुशभवनपुर, कुशपुर, कुशपुरा, कुशावती इत्यादि नामों से जानते थे। जो कालांतर मे बदलते बदलते सुलतानपुर हो गया। 

यह कांरवा 2016 से शुरू हुआ था और आज 2022 है।

जो साथी अभी अभी जुड़े है उन्हें अवगत करा दें
कि जब हम सब यानी #KUSS, कुशभवनपुर शब्द लिखना शुरू किये तब सबसे ज्यादा समय अपने ही साथी संगतियो को समझाने व विश्वास दिलाने में लग गया कि वर्तमान में परिवर्तित नाम सुल्तानपुर कभी कुशभवनपुर हुआ करता था जोकि लगभग 768 वर्ष पूर्व सल्तनत काल मे खिलजी ने लुटेरा और आक्रांता सुल्तान के नाम पर इसलिए रख दिया गया क्योंकि एक वर्ग को मात्र नीचा दिखाना उद्देश्य था।
यह पावन और पौराणिक भूमि सल्तनत काल से पूर्व हमारे प्रभु श्री राम जी के पुत्र श्री कुश जी की गद्दी रही और महाराज कुश जी खुद इस नगर की स्थापना कर इसका नाम कुशभवनपुर रखा जंहा से पूरा राजपाठ का संचालन किया।
और जब रुचि हुई कि इसके गहराई में जाने की तो हम सबने इस नाम को कई माध्यमो से खंगाला और पाया कि इतिहास में इसका बहुत ही सुंदर वर्णन है और पाया कि इसके बारे में हम सभी नवयुवको को पता ही नही, और पाया कि कनिघम काल से लेकर 2011 के जनसंख्या गणना बुक में इसका इतिहास साफ साफ दर्ज है यहां तक कि सरकारी दस्तावेजों में भी उल्लेख है चाहे वह sultanpur.nic.in के इतिहास वाला पेज हो या भारत को अंग्रेजो द्वारा सौंपी गई गजेटियर हो, सबसे आश्चर्य की बात तब सामने आई कि नाना जी आदरणीय राजेश्वर सिंह द्वारा लिखी किताब सुल्तानपुर का इतिहास में भी उल्लेख मिला, इस बात को निकाल कर आप सभी लोगो तक पहुंचाने में #KUSS के अथक परिश्रम और जुनून के साथ सफल रहे।
उसी समय यह निर्णय लिया गया कि एक संस्था पंजीकृत कराते है और जनजागरण शुरू करते है जिससे आज की युवा पीढ़ी अपने पौराणिक विरासत के बारे में अच्छी तरह से चिर परिचित हो जाय और फिर देर न करते हुए कुशभवनपुर उत्थान सेवा समिति-KUSS के नाम से पंजीकरण किया गया और श्रावण पूर्णिमा के दिन कुश जयंती के उपलक्ष्य पर कुशभवनपुर दिवस के रूप में मनाना तय किया गया चूंकि श्रावण पूर्णिमा के दिन पूरे देश मे महाराज कुश जी की जयंती मनाई जाती है ऐसा कुशवाहा समाज जोकि अपने आपको महाराज कुश के वंसज मानते है वे लोग इसी दिन कुश जी की जयंती मनाते है तो निश्चय किया गया इसी दिन कुशभवनपुर दिवस के रूप में मनाया जाय और फिर धूम धाम से इसकी शुरुवात 16 अगस्त 2016 को शुरुवात की गई।
इसके साथ ही google search में कुशभवनपुर शब्द का नामोनिशान नही था यदि आप चाहे तो ईयर वाइज फ़िल्टर कर देख सकते है कि 2016 से पहले एक शब्द नही मिलेगा पर हम सभी कुश सैनिक मिल कर इसको सोशल मीडिया हो या गूगल हो आदि माध्यम से आप सभी तक पहुंचाया गया और लगातार जनजागरण किया गया।
हम सब अपनी बड़ाई नही कर रहे है पर आज जो नए नए साथी जुड़े है उन्हें पूरा इतिहास पता हो इसलिए यह लेख लिख रहे है। #KUSS

https://www.facebook.com/KushbhawanpurKBP

https://www.aajtak.in/india/uttar-pradesh/story/up-election-sultanpur-name-change-politics-kushbhawanpur-ntc-1317099-2021-08-27



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Rabindra Kumar Singh
Kushbhawanpur (Sultanpur), UP

Co-Campaigner: रबीन्द्र कुमार सिंह अठैसी
Beneficiary: कुशभवनपुर-उत्थान-सेवा-समिति-KUSS

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सुलतानपुर गजेटियर जिसके पेज नम्बर 10 पर लिखा है कि 1300 ईस्वी तक नगर का नाम कुशभवनपुर था, फिर अलाउद्दीन ख़िलजी ने युद्ध के बाद इसका नाम सुलतानपुर रख दिया गया जिसे पुनः कुशभवनपुर वापसी हेतु हमारी संस्था गत कई वर्षो से जनजागरण व् शोभायात्रा करती आ रही है।






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